खोखला जीवन
रेगिस्तान मे बसा हुआ इंसान
कर गया दिल को भी रेगिस्तान
खोजता है आपनो को कहां कहां
जहां खो गया दिलो से ही इंसान
चमकती दौलत ने किया अंधा
अंधा हुआ खुद के मन का जहान
इतने ज़्यादा रंगे इस रंग में
भूल गए खुद की भी पहचान
मत भूलो लक्ष्मी चंचला है,
न कभी रहते हालात भी एक समान
कहां पहुचे, सब रिस्तो को भूल,
दोलत से खोजने, चले उची शान
खोकले है यह मान सम्मान,
अगर बच न पाया अपना इमान
यह सुख है कुछ पल का, नाम का
अगर न रख सके इंसानियत का ज्ञान
डा. शकुंतला व्यास
Monday, November 30, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment