Monday, November 30, 2009

khokala jivan

खोखला जीवन

रेगिस्तान मे बसा हुआ इंसान
कर गया दिल को भी रेगिस्तान

खोजता है आपनो को कहां कहां
जहां खो गया दिलो से ही इंसान

चमकती दौलत ने किया अंधा
अंधा हुआ खुद के मन का जहान

इतने ज़्यादा रंगे इस रंग में
भूल गए खुद की भी पहचान

मत भूलो लक्ष्मी चंचला है,
न कभी रहते हालात भी एक समान

कहां पहुचे, सब रिस्तो को भूल,
दोलत से खोजने, चले उची शान

खोकले है यह मान सम्मान,
अगर बच न पाया अपना इमान

यह सुख है कुछ पल का, नाम का
अगर न रख सके इंसानियत का ज्ञान

डा. शकुंतला व्यास

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